Ad

niti aayog

नीति आयोग ने बताए किसानों की कमाई को बढ़ाने के मूलमंत्र, बताया किस तरह बढ़ सकती है कमाई

नीति आयोग ने बताए किसानों की कमाई को बढ़ाने के मूलमंत्र, बताया किस तरह बढ़ सकती है कमाई

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी परमेश्वरन अय्यर ने कहा है, कि भारत में किसानों की आय बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को अब खेती के अलावा कृषि स्टार्टअप लगाने पर भी जोर देना चाहिए, जिससे किसानों के लिए रोजगार के नए साधन बन सकें। उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सेक्टर साबित हो सकता है। जहां किसान निवेश करके प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स का निर्यात कर सकते हैं। उन्होंने एक सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में एंट्री के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि फूड प्रोसेसिंग सेक्टर किसानों की आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। साथ ही, यह भारत में कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई में पोषण लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक हो सकता है। सरकार ने इन चीजों को देखते हुए कई कदम उठाए हैं। जिससे खेतों के स्तर पर ही फूड प्रोसेसिंग उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि आजकल खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत ही ज्यादा कड़े मानक बनाए जा चुके हैं। इसलिए इसको वैश्विक स्तर पर बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। सरकार खाद्य सुरक्षा में सुधार को लेकर लगातार प्रयत्न कर रही है।

ये भी पढ़ें: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आसियान भारत बैठक में एलान किया है कि पोषक अनाज उत्पादों को प्रोत्साहित करेगा भारत
परमेश्वरन अय्यर ने कहा, साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र ने 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' (IYoM) घोषित किया है जो एक महीने से भी कम समय में शुरू होने जा रहा है। इसमें संयुक्त राष्ट्र मोटे अनाज के उत्पादन, प्रोसेसिंग और खाने के ऊपर जोर देगा। मोटे अनाज की प्रोसेसिंग न केवल रोजगार के लिहाज से बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के प्रोसेसिंग में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को लाने की भी जरूरत है। ये उद्यम इस क्षेत्र में ढेर सारे रोजगार पैदा कर सकते हैं। इनसे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही फायदा होने वाला है।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (IYoM) 2023 योजना का सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
अय्यर ने भारत में बनने वाले फूड प्रोसेस्ड उत्पादों के निर्यात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे बाजार में कच्चे माल की मांग बढ़ेगी जिससे किसान ज्यादा उत्पादन करेंगे। इसके साथ ही मांग बढ़ने के साथ ही किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम भी मिल सकेगा। साथ ही उन्होंने भारत में खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब भी दुनिया में ऐसे लोग हैं, जिनके पास खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं है और वो गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
नीति आयोग का मास्टर प्लान, गौशालाओं की होगी मदद, आवारा पशुओं से मिलेगा छुटकारा

नीति आयोग का मास्टर प्लान, गौशालाओं की होगी मदद, आवारा पशुओं से मिलेगा छुटकारा

देश में गौशालाओं को बनाने के लिए लोगों को हर तरह से जागरूक किया जा रहा है. बढ़ती जागरूकता को देखते हुए, नीति आयोग ने गौशालाओं की मदद के लिए मास्टर प्लान बना लिया है. बताया जा रहा है कि, इसका सीधा फायदा हमारे किसान भाइयों के साथ साथ खेती बाड़ी को भी होगा. जिससे स्वभाविक रूप से आवारा पशुओं से लोगों को छुटकारा मिल सकेगा. साथ ही उनसे होने वाली दिक्कतें भी कादी हद तक दूर हो जाएंगी. जब से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, तभी से पूरे देश में गौशालाओं की स्थापना को लेकर काफी जागरूकता बढ़ गयी है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक आवारा पशुओं के साथ साथ आवारा गायों में भी लोगों को खूब परेशान कर दिया है. जहां एक तरफ इनकी वजह से खेत खलियानों में दिक्कते बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ चाहे गांव हो या शहर, हर जगह गौशालाओं का भी निर्माण किया जा रहा है. जिसे देखते हुए नीति आयोग ने एक ओस मास्टर प्लान तैयार किया है, जिससे वो एक तीर से एक नहीं बल्कि दो-दो निशाने लगाएगी. इस मास्टर प्लान के तहत देशभर में बनी गौशालाओं की स्थिति और सूरत तो सुधरेगी ही, साथ ही वो न्य बिजनेस भी कर आसानी से पाएंगी.
  • गौशालाओं को वित्तीय मदद देने की सिफारिश

नीति आयोग के सदस्य पड़ पर कार्यरत रमेश चंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गयी. जिसमें गौशालाओं को वित्तीय मदद देने की सिफारिश की गयी है. इसके अलावा उन्हें नये बिजनेस का भी आइडिया दिया गया है. जिसके तहत गाय का गोबर और गोमूत्र से बनी चीजों की मार्केटिंग कर सकें. हालांकि इन सभी चीजों का इस्तेमाल कृषि सेक्टर में खूब किया जाता है.
  • ऑनलाइन होगा गौशालाओं का रजिस्ट्रेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समिति का एक और प्रस्ताव भी है. जिसमें सभी गौशालाओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की बात कही गयी. इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जाना चहिये. इस पोर्टल को नीति आयोग के दर्पण पोर्टल की तरह बनाने का सुझाव दिया गया है. जो पशु कल्याण बोर्ड सहायता हासिल करने के लायक बनाया जाएगा. यह भी पढ़ें: गौशालाओं से होगी अच्छी कमाई, हरियाणा सरकार ने योजना बनाई
  • आवारा पशु नहीं बनेंगे परेशानी का सबब

इतना ही नहीं समिति ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की है. जिसके मुताबिक गौशालाओं को आर्थिक मदद देने की बात कही गयी है. जिससे लोगों को आवारा पशुओं की वजह से होने वाली परेशानियों का समाधान मिल सकेगा. समिति का कहना है कि, गौशालाओं को जो भी मदद दी जाएगी, उसको गायों की कुल संख्या से जोड़ना चाहिए. इसके अलावा आवारा और बिमारी से बचाई गयी गायों की स्थिति में सुधार किया जा सके.
  • रियायती ब्याज पर मिल सकता है फाइनेंस

समिति के मुताबिक गौशालाएं आर्थिक रूप से सक्षम बनें. इसके लिए उन्हें वित्तीय मदद मिलनी चाहिए. जिससे उन्हें अपना बिजनेस चलाने और क्यादा मुनाफा कमाने में मिलने वाले अंतर के बराबर आर्थिक मदद को विअबले गैप फंडिंग के रूप में दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही गौशालाएं जो भी पूंजी निवेश करें, उसके लिए और वर्किंग कैपिटल के लिए रियायती ड्रोन पर फाइनेंस किया जाना चाहिए.

ये बिजनेस कर सकती हैं गौशालाएं

  • गौशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए, उनकी पूंजीगत तरीके से मदद की जानी चाहिए.
  • पूंजीगत तरीके से हुई मदद से गौशालाएं गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादकों की मार्केटिंग आसानी से कर सकेंगी.
  • गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादकों का इस्तेमाल जैविक कृषि को आगे बढ़ाने में काफी हद तक कारगार हो सकता है.
  • नीति आयोग के मास्टर प्लान से गौशालाओं को गोबर और गोमूत्र से बनी चीजों के प्रोडक्शन और पैकेजिंग के साथ साथ मार्केटिंग और वितरण करने में मदद मिल सकती है.
  • अगर प्राइवेट सेक्टर मरीं निवेश किया जाएगा तो, जैविक उर्वरक का ज्यादा और भारी पैमाने पर उत्पादन हो सकेगा.
प्रोडक्शन एंड प्रमोशन ऑफ ऑर्गेनिक एंड बायो फर्टिलाइजर्स विथ स्पेशल फोकस ऑन इंप्रूविंग इकोनॉमिक वायबिलिटी ऑफ गौशाला की रिपोर्ट में समिति की ओर से ये सभी सुझाव दिए गये हैं.
भारत सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए बैन के हटने की संभावना

भारत सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए बैन के हटने की संभावना

केंद्र सरकार की तरफ से हाल में 20 जुलाई को भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पश्चात अमेरिका से लेकर दुबई तक चावल को लेकर हाहाकार देखा गया। वर्तमान में खबर है, कि चावल का निर्यात पुनः शुरू हो सकता है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना था, कि चावल की बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। परंतु, क्या यही एकमात्र कारण है चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगाने की, क्या सरकार इस बैन को फिर से हटा सकती है ? इस संदर्भ में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बहुत सारे संकेत दिए हैं। बतादें, कि भारत विश्व के 40 प्रतिशत चावल निर्यात पर राज करता है। इसलिए जब भारत ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया तो दुबई से लेकर अन्य खाड़ी देशों में कोहराम सा मच गया, जहां चावल की खपत काफी ज्यादा है। साथ ही, अमेरिका जैसे देश में सुपर मार्केट के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखी गईं। भारत 140 से अधिक देशों को चावल निर्यात करता है।

भारत सरकार ने चावल निर्यात पर इस वजह से लगाया बैन

इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य एवं कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद ने कहा कि भारत इस वर्ष भी 2 करोड़ टन से ज्यादा चावल का निर्यात करेगा। इससे भारत की फूड सिक्योरिटी पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, भारत कौ ‘गैर बासमती सफेद चावल’ के निर्यात को रोकना पड़ा है। इसकी वजह वैश्विक बाजारों में चावल की मांग का बहुत ज्यादा हो जाना है। यदि सरकार इस चावल के निर्यात पर बैन नहीं लगाती तो भारत से 3 करोड़ टन से ज्यादा चावल का निर्यात होता।

ये भी पढ़ें:
अब गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगेगा 20 फीसदी शुल्क उन्होंने कहा कि जब से रूस-यूक्रेन युद्ध आरंभ हुआ है, तभी से खान पान की चीजों के भाव बेतहाशा बढ़े हैं। बीते 6 से 7 महीनों में चावल और चीनी के भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत बढ़े हैं और इनकी मांग भी ज्यादा है। इससे घरेलू बाजार पर प्रभाव पड़ने की संभावना थी। साथ ही, सरकार का दूसरे देश की सरकार के साथ होने वाला गैर-बासमती चावल का निर्यात आज भी सुचारू है।

चावल की फसल के उत्पादन में कमी होना

चावल पर बैन का एक अन्य कारक अल-निनो की वजह से गत वर्ष मानसून को लेकर अनिश्चिता होना। फिर विलंभ से बारिश होने की वजह से बुवाई का भी विलंभ से होना। इसके पश्चात बाढ़ की वजह से विभिन्न क्षेत्रों में फसल का चौपट होना। इन समस्त कारणों से सरकार ने सावधानी भरा रुख अपनाया और चावल के निर्यात को प्रतिबंध कर दिया।

भारत आगे चलकर एक्सपोर्ट पर बैन हटा सकता है

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद द्वारा मीड़िया एजेंसियों को दिए एक साक्षात्कार में कहा है, कि सरकार चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा सकती है। यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार की डिमांड पर निर्भर करेगा। सरकार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक बार चावल की मांग गिरने की प्रतीक्षा है, जिससे कि चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाया जा सके। वहीं, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा, कि इस वर्ष फसल कैसी रहती है। नई फसल का आंकलन सितंबर-अक्टूबर तक लग जाएगा, इसी के आधार पर सरकार आगामी निर्णय लेगी।